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IGNOU BHDE-143 Premchand - Latest Solved Assignment

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BHDC-111
BHDC-112
BHDE-141
BHDE-143
Language : 
Hindi
Semester : 
5th
Year : 
3rd
575.00
1,150.00
Save 575.00
BAPI-03
BHDE-143
BHDG-173
Language : 
Hindi
Semester : 
5th
Year : 
3rd
405.00
810.00
Save 405.00
BAPI-03
BHDE-143
BHDG-175
Language : 
Hindi
Semester : 
5th
Year : 
3rd
455.00
910.00
Save 455.00
BAPI-03
BHDE-143
ONR-03
Language : 
Hindi
Semester : 
5th
Year : 
3rd
320.00
640.00
Save 320.00

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IGNOU BHDE-143 (July 2024 – January 2025) Assignment Questions

भाग-क

1. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए ।

(क) संध्या समय सदन की नाव गंगा की लहरों पर इस भाँति चल रही थी, जैसे आकाश में मेघ चलते है। लेकिन उसके चेहरे पर आनन्द – विलास की जगह भविष्य की शंका झलक रही थी, जैसे कोई विद्यार्थी परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद चिंता में ग्रस्त हो जाता है। उसे अनुभव होता है कि वह बाँध, जो संसार रूपी नदी की बाए से मुझे बचाए हुए था, टूट गया है और मैं अथाह सागर में खड़ा हूँ। सदन सोच रहा था कि मैंने नाव तो नदी में डाल दी, लेकिन यह पार भी लगेगी? उसे अब मालूम हो रहा था कि वह पानी गहरा है, हवा तेज है और जीवन-यात्रा इतनी सरल नहीं है, जितनी मैं समझता था । लहर यदि मीठे स्वरों में गाती है, तो भयंकर ध्वनि से गरजती है। हवा अगर लहरों को थपकियाँ देती हैं, तो कभी-कभी उन्हें उछाल भी देती है।

(ख) हमने जिस युग को अभी पार किया है, उसे जीवन से कोई मतलब न था । हमारे साहित्यकार कल्पना की एक सृष्टि खड़ी करके उसमें मनमाने तिलस्म बाँधा करते थे। कहीं फिसानये अजायब की दास्तान थी, कहीं दास्ताने खयाल की और कहीं चन्द्रकान्ता – सन्तति की। इन आख्यानों का उद्देश्य केवल मनोरंजन था और हमारे अद्भुत रस-प्रेम की तृप्ति, साहित्य का जीवन से कोई लगाव है, यह कल्पनातीत था। कहानी कहानी है, जीवन जीवन |

( ग ) जबरा शायद समझ रहा था कि स्वर्ग यहीं है और हल्कू की पवित्र आत्मा में तो उस कुत्ते के प्रति घृणा की गंध तक न थी । अपने किसी अभिन्न मित्र या भाई को भी वह इतनी ही तत्परता से गले लगाता। वह अपनी दीनता से आहत न था, जिसने उसे आज इस दशा को पहुँचा दिया। नहीं, इस अनोखी मैत्री ने जैसे उसकी आत्मा के सब द्वार खोल दिये थे। सहसा जबरा ने किसी जानवर की आहट पाई। इस विशेष आत्मीयता ने उसमें एक नई स्फूर्ति पैदा कर दी थी, जो हवा के झोंकों को तुच्छ समझती थी ।

(घ) मंडल के भवन में पग धरते ही उसकी लेखनी कितनी मर्मज्ञ, कितनी विचारशील, कितनी न्यायपरायण हो जाती है। इसका कारण उत्तरदायितव का ज्ञान है। नवयुवक युवावस्था में कितना उदण्ड रहता है। माता-पिता उसकी ओर से कितने चिंतित रहते हैं! वे उसे कुल-कलंक समझते हैं, परन्तु थोड़े ही समय में परिवार का बोझ सिर पर पड़ते ही वह अव्यवस्थित-चित्त उन्मत्त युवक कितना धैर्यशील, कैसा शांतचित्त हो जाता है, यह भी उत्तरदायित्व के ज्ञान का फल है।

भाग – ख

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 750-800 शब्दों में दीजिए ।

( 1 ). प्रेमचंद की कहानियों की विशेषताएँ बताइए ।
( 2 ). ‘साहित्य का उद्देश्य के विचार पक्ष का विवेचन कीजिए।
( 3 ). ‘पंच परमेश्वर’ कहानी के संरचना – शिल्प पर प्रकाश डालिए ।

भाग-ग

3. निम्नलिखित विषयों पर (प्रत्येक ) लगभग 250 शब्दों में टिप्पणी लिखिए:

(1) हल्कू’ की चारित्रिक विशेषताएँ
(2) प्रेमचंद का वैचारिक गद्य
(3) ‘शतरंज के खिलाड़ी’ की कथावस्तु

 

IGNOU BHDE-143 (January 2024 – July 2024) Assignment Questions

भाग-क

1. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।

(क) हमें अपनी रुचि और प्रवृत्ति के अनुकूल विषय चुन लेने चाहिए और विषय पर पूर्ण अधिकार प्राप्त करना चाहिए। हम जिस आर्थिक अवस्था में जिन्दगी बिता रहे हैं, उसमें यह काम कठिन अवश्य है, पर हमारा आदर्श ऊँचा रहना चाहिए। हम पहाड़ की चोटी तक न पहुँच सकेंगे तो कमरे तक तो पहुँच ही जाएँगे। जो जमीन पर पड़े रहने से कहीं अच्छा है। अगर हमारे अंतर प्रेम की ज्योति से प्रकाशित हो और सेवा का आदर्श हमारे सामने हो तो ऐसी कोई कठिनाई नहीं जिस पर हम विजय न प्राप्त कर सकें।

(ख) गजानन्द को इस समय सुमन के चेहरे पर प्रेम और पवित्रता की छटा दिखाई दी। वह व्याकुल हो गए। वह भाव, जिन्हें उन्होंने बरसों से दबा रखे थे, जागृत होने लगे। सुख और आनन्द की नवीन भावनाएँ उत्पन्न होने लगीं। उन्हें अपना जीवन शुष्क, नीरस, आनन्दविहीन जान पड़ने लगा। वह इन कल्पनाओं से भयभीत हो गए। उन्हें शंका हुई कि यदि मेरे मन में यह विचार ठहर गए तो मेरा संयम, वैराग्य और सेवाव्रत इसके प्रवाह में तृण के समान बह जाएँगे। वह बोल उठे – तुम्हें मालूम है कि यहाँ एक अनाथालय खोला गया है।

(ग) मिरज़ा सज्जादअली के घर में कोई बड़ा-बूढ़ा न था, इसलिए उन्हीं के दीवानखाने में बाजियाँ होती थीं। मगर यह बात न थी कि मिरजा के घर के और लोग उनके इस व्यवहार से खुश हों। घरवालों का तो कहना ही क्या मुहल्लेवाले, घर के नौकर-चाकर तक नित्य द्वेषपूर्ण टिप्पणियाँ किया करते थे बड़ा मनहूस खेल है। घर को तबाह कर देता है। खुदा न करे, किसी को इसकी चाट पड़े आदमी दीन-दुनिया किसी के काम का नहीं रहता, न घर का, न घाट का बुरा रोग है। यहाँ तक कि मिरज़ा की बेगम साहिबा को इससे इतना द्वेष था कि अक्सर खोज खोजकर पति को लताड़ती थीं। पर उन्हें इसका अवसर मुश्किल से मिलता था। वह सोती ही रहती थीं, तब तक उधर बाजी बिछ जाती थी, और रात को जब सो जाती थीं तब कहीं, मिरज़ाजी घर में आते थे।

(घ) जबरा शायद समझ रहा था कि स्वर्ग यहीं है और हल्कू की पवित्र आत्मा में तो उसे कुत्ते के प्रति घृणा की गंध तक न थी। अपने किसी अभिन्न मित्र या भाई को भी वह इतनी ही तत्परता से गले लगाता। वह अपनी दीनता से आहत न था, जिसने आज उसे इस दशा को पहुँचा दिया। नहीं, इस अनोखी मैत्री ने जैसे उसकी आत्मा के सब द्वार खोल दिये थे और उसका एक-एक अणु प्रकाश से चमक रहा था।

भाग-ख

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 750-800 शब्दों में दीजिए।

(1) प्रेमचंद के नाटकों का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
(2) ‘शतरंज के खिलाड़ी कहानी की शिल्पगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
(3) ‘दो बैलों की कथा’ कहानी की कथावस्तु को विस्तार से विश्लेषित कीजिए ।

भाग-ग

3. निम्नलिखित विषयों पर (प्रत्येक) लगभग 250 शब्दों में टिप्पणी लिखिए:

(1) ‘कर्बला’ नाटक का कथ्य
(2) ‘ईदगाह’ कहानी की भाषा
(3) साहित्य का उद्देश्य का सार

BHDE-143 Assignments Details

University : IGNOU (Indira Gandhi National Open University)
Title :Premchand
Language(s) : Hindi
Code : BHDE-143
Degree :
Subject : Hindi
Course : Discipline Specific Electives (DSE)
Author : Gullybaba.com Panel
Publisher : Gullybaba Publishing House Pvt. Ltd.

IGNOU BHDE-143 (Jul 24 - Jan 25, Jan 24 - Jul 24) - Solved Assignment

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The IGNOU open learning format requires students to submit study Assignments. Here is the final end date of the submission of this particular assignment according to the university calendar.

  • 30th April (if Enrolled in the June Exams)
  • 31st October (if Enrolled in the December Exams).

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