IGNOU BHDC-134 Hindi Gadya Sahitya - Latest Solved Assignment
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IGNOU BHDC-134 (January 2024 – July 2024) Assignment Questions
खंड-क
1. निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
(क) उस समय भीतर ही भीतर सचमुच मुझे भी यह मालूम हो रहा था कि यहाँ देर तक मेरा रहना ठीक न होगा, लोग जाने क्या समझें। मैं आज इसी पर आश्चर्य किया करता हॅू कि ‘लोग क्या समझेंगें, इसका बोझ अपने ऊपर लेकर हम क्यों अपनी चालाकी को सीधा नहीं रखते हैं, क्यों उसे तिरछा आड़ा बनाने की कोशिश करते हैं। लोगों के अपने मुँह है, अपनी समझ के अनुसार वे कुछ-कुछ क्यों न कहेंगे? इसमें उनको क्या बाधा है, उनपर किसी का क्या आरोप हो सकता है? फिर भी उस सबका बोझ आदमी अपने ऊपर स्वीकार कर अपने भीतर के सत्य को अस्वीकार करता है- यह उसकी कैसी भारी मूर्खता है।
(ख) कोई वस्तु हमें बहुत अच्छी लगी, किसी वस्तु से हमें बहुत सुख या आनंद मिला, इतने ही पर दुनिया में यह नहीं कहा जाता कि हमने लोभ किया। जब संवेदनात्मक अवयव के साथ इच्छात्मक अवयव का संयोग होगा अर्थात् जब उस वस्तु को प्राप्त करने की, दूर न करने की, नष्ट न होने देने की इच्छा प्रकट होगी तभी हमारा लोभ लोगों पर खुलेगा। इच्छा लोभ या प्रीति का ऐसा आवश्यक अंग है कि यदि किसी को कोई बहुत अच्छा या प्रिय लगता है तो लोग कहते हैं कि वह उसे चाहता है।
खंड-ख
2. हिन्दी गद्य के विकास के विविध कारणों की चर्चा कीजिए ।
3. ‘नमक का दारोगा कहानी के प्रमुख पात्रों का परिचय दीजिए ।
4. निम्नलिखित विषयों पर लगभग 200-250 शब्दों में टिप्पणी लिखिए।
क) ‘अनामस्वामी’ उपन्यास
ख) ‘वापसी’ कहानी का सार
खंड-ग
5. ‘कुटज’ की भाषा और शील शैलीगत विशेषताएँ बताइए ।
6. हिन्दी निबंध साहित्य के विकास में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के योगदान पर प्रकाश डालिए ।
7. निम्नलिखित विषयों पर लगभग 200-250 शब्दों में टिप्पणी लिखिए ।
क) सहस्त्र फणों का मणि ‘दीप’ की शैली
ख) ‘कुटज’ कहानी का सार
IGNOU BHDC-134 (January 2023 – July 2023) Assignment Questions
खंड-क
1. निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :
(क) नाविक उस प्रचण्ड आँधी में प्रकाश की एक-एक किरण के लिए हम लोग कितने व्याकुल थे। मुझे स्मरण है जब मैं छोटी थी, मेरे पिता नौकरी पर समुद्र में जाते थे, मेरी माता, मिट्टी का दीपक बाँस की पिटारी में भागीरथी के तट पर बाँस के साथ ऊँचे टाँग देती थी । उस समय वह प्रार्थना करती, “भगवान मेरे पथ भ्रष्ट नाविक को अंधकार में ठीक पथ पर ले चलना ।” और जब मेरे पिता बरसों पर लौटते तो कहते -” साध्वी तेरी प्रार्थना से भगवान ने संकटों में मेरी रक्षा की है।”
(ख) गजाधर बाबू ने कोट उतारा और कहीं टाँगने को दीवार पर नजर दौड़ाई। फिर उसे मोड़कर अलगनी के कुछ कपड़े खिसकाकर एक किनारे टाँग दिया। कुछ खाए बिना ही अपनी चारपाई पर लेट गए । कुछ भी हो, तन आखिकार बूढ़ा ही था । सुबह – शाम कुछ दूर टहलने अवश्य चले जाते, पर आते-आते थक उठते थे। गजाधर बाबू को अपना बड़ा-सा खुला हुआ क्वार्टर याद आ गया । निश्चिन्त जीवन, सुबह पैसेंजर ट्रेन आने पर स्टेशन की चहल-पहल, चिरपरिचित चेहरे और पटरी पर रेल के पहियों की खट्-खट् जो उनके लिए मधुर संगीत की तरह था ।
खंड-ख
2. द्विवेदी युगीन हिंदी गद्य साहित्य का परिचय दीजिए ।
3. ‘त्याग-पत्र’ के आधार पर मृणाल की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
4. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी (प्रत्येक पर लगभग 200 – 250 शब्दों में) लिखिए :
(क) ‘आकाशदीप’ की अंतर्वस्तु
(ख) अंग्रेजों की भाषा नीति
खंड-ग
5. रामचंद्र शुक्ल के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए ।
6. ‘कुटज’ के वैचारिक पक्ष की विवेचना कीजिए ।
7. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी (प्रत्येक पर लगभग 200 – 250 शब्दों में) लिखिए :
(क) ‘लोभ और प्रीति’ में देश प्रेम का स्वरूप
(ख) ‘सहस्र फणों का मणि – दीप’ की भाषा
BHDC-134 Assignments Details
University | : | IGNOU (Indira Gandhi National Open University) |
Title | : | Hindi Gadya Sahitya |
Language(s) | : | Hindi |
Code | : | BHDC-134 |
Degree | : | |
Subject | : | Hindi |
Course | : | Core Courses (CC) |
Author | : | Gullybaba.com Panel |
Publisher | : | Gullybaba Publishing House Pvt. Ltd. |