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IGNOU MSK-04 (July 2024 – January 2025) Assignment Questions
खण्ड – 1
निर्देश- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही चार प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिए:
1. आधुनिक साहित्य में विषय एवं विधा के वैविध्य को स्पष्ट करते हुए उदाहरणपूर्वक वर्णन कीजिए ।
2. मीरालहरी काव्य के द्वितीय खण्ड के कथानक का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए ।
3. मीरालहरी काव्य के प्रथम खण्ड के कथानक का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए ।
4. आधुनिक काव्य के इतिहास में नाट्यरचना विधा का विस्तृत परिचय दीजिए ।
5. उपाख्यानमालिका के रचयिता का विस्तार से परिचय लिखते हुए इस रचना की विशेषताएं लिखिए |
6. प्रोफेसर राजेन्द्र मिश्र के व्यक्तित्व और कर्तृत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए ।
खण्ड – 2
निर्देश: अधोलिखित प्रश्नों में से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
1. काव्यालङ्कारकारिका में प्रस्तुत अलंकार की अवधारणा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए ।
2. आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी का संक्षिप्त परिचय लिखिए ।
3. आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनूदित साहित्य का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए ।
4. जानकीजीवनम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का सारांश लिखिए ।
5. रेवाप्रसाद द्विवेदी के संस्कृत अलंकारशास्त्र विषयक में योगदान को स्पष्ट किजिए ।
IGNOU MSK-04 (July 2023 – January 2024) Assignment Questions
खण्ड – 1
निर्देश- निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्ही चार प्रश्नों के विस्तृत उत्तर दीजिए :
1. आधुनिक काव्य के इतिहास में नाट्यरचना विधा का विस्तृत परिचय दीजिए ।
2. आधुनिक साहित्य में विषय एवं विधा के वैविध्य को स्पष्ट करते हुए उदाहरणपूर्वक वर्णन कीजिए ।
3. उपाख्यानमालिका के रचयिता का विस्तार से परिचय लिखते हुए इस रचना की विशेषताएं लिखिए ।
4. मीरालहरी काव्य के द्वितीय खण्ड के कथानक का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए ।
5. प्रोफेसर राजेन्द्र मिश्र के व्यक्तित्व और कर्तृत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए ।
6. मीरालहरी काव्य के प्रथम खण्ड के कथानक का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए ।
खण्ड – 2
निर्देश: अधोलिखित प्रश्नों में से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
1. आधुनिक संस्कृत साहित्य में अनूदित साहित्य का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए ।
2. काव्यालङ्कारकारिका में प्रस्तुत अलंकार की अवधारणा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए ।
3. जानकीजीवनम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का सारांश लिखिए ।
4. आचार्य रेवाप्रसाद द्विवेदी का संक्षिप्त परिचय लिखिए ।
5. रेवाप्रसाद द्विवेदी के संस्कृत अलंकारशास्त्र विषयक में योगदान को स्पष्ट किजिए ।