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IGNOU MHD-04 (July 2024 – January 2025) Assignment Questions
1. निम्नलिखित अवतरणों की संदर्भ साडित व्याख्या कीजिए।
(क) संस्कृति थी यह एक बूढ़े और अंधे की जिसकी संतानों ने महायुद्ध चोषित किए, जिसके अंधेपन में मर्यादा गलित अंग वेश्या-सी प्रजाजनों को भी रोगी बनाती फिरी उस अंधी संस्कृति, उस रोगी मर्यादा की रक्षा हम करते रहे सत्रह दिन।
(ख) कविता करना अनंत पुण्य का फल है। इस दुराशा और अनंत उत्कठा से कवि-जीवन व्यतीत करने की इच्छा हुई। संसार के समस्त अभावों को असंतोष कहकर हृदय को धोखा देता रहा। परंतु कैसी विडंबना। लक्ष्मी के लालों का भू-भंग और क्रोम की ज्याला के अतिरिक्त मिला क्या। एक काल्पनिक प्रशंसनीय जीवन, जो दूसरों की दया में अपना अस्तित्व रखता है। संचित हृदय कोश के अमूल्य रत्नों की उदारता और दारिद्रय का व्यंग्यात्मक कठोर अट्टहास, दोनों की विषमता की कौन-सी व्यवस्था होगी।
(ग). चना खायें तौकी, मैना। बोले अच्छा बना चबैना।। चना खायें गफूरन, मुन्नी। बोलें और नहीं कुछ सुन्ना।। चना खाते सब बंगाली। जिनकी धोती ढीली-डाली।। चना खाते मियाँ जुलाहे। डाढ़ी हिलती गाह बगाहे ।। चना हाकिम सब जो खाते। राब पर दूना टिकस लगाते ।। चने जोर गरम टके सेर।
(घ). ऐसा जीवन तो वितंबना है, जिसके लिए रात-दिन लड़ना पड़े। आकाश में जब शीतल शुभ्र शरद-शशि का विलास हो, तब भी दांत पर दांत रखे मुद्धियों को बांधे लाल आंखों से एक-दूसरे को घूरा करें। बसंत के मनोहर प्रमात में निभूत कगारी में चुपचाप बहने वाली सरिताओं का स्रोत गरम रक्त बहाकर लाल कर दिया जाय। नहीं-नहीं, चक्र। मेरी समझ में मानव जीवन का यही उद्देश्य नहीं है। कोई और भी निगूढ रहस्य है चाहे में स्वयं उसे न जान सका है।
2 सामाजिक यथार्थ के परिप्रेक्ष्य में अंधेर नगरी नाटक की समीक्षा कीजिए।
3. जयशंकर प्रसाद के नाटक और रंगमंच संबंधी निबंधों के आधार पर उनकी नाट्य दृष्टि पर विचार कीजिए।
4. अंपायुग अधों के बहाने ज्योति की कथा है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए।
5. ‘कलम का सिपाही जीवनी के शिल्पगत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए।
6. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए।
(क) ताँबे के कीड़े की कथावस्तु
(ख) लोभ और प्रीति की विशेषताएँ
(ग) क्या भूलूँ क्या याद करू की संरचनात्मक विशेषताएँ
(घ) अदम्य जीवन मूल संवेदना
IGNOU MHD-04 (July 2023 – January 2024) Assignment Questions
(1) निम्नलिखित अवतरणों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए ।
(क) चूरन सभी महाजन खाते।
जिससे जमा हजम कर जाते ।।
चूरन खाते लाला लोग ।
जिसकी अकिल अजीरन रोग ।।
चूरन खायें एडिटर जात ।
जिनके पेट पचै नहिं बात ।।
चूरन साहेब लोग जो खाता ।
सारा हिंद हजम कर जाता ।।
चूरन पुलिस वाले खाते ।
सब कानून हजम कर जाते ।।
(ख) कई-कई दिनों के लिए अपने को उससे काट लेती हूँ। पर धीरे-धीरे हर चीज फिर उसी ढर्रे पर लौट आती है। सब कुछ फिर उसी तरह होने लगता है जब तक कि हम जब तक कि हम नए सिरे से उसी खोह में नहीं पहुँच जाते मैं यहाँ आती हूँ….. यहाँ आती हूँ तो सिर्फ इसीलिए कि
(ग) लोहा बड़ा कठोर होता है। कभी-कभी वह लोहे को भी काट डालता है। उहूँ भाई! मैं तो मिट्टी हूँ – मिट्टी जिसमें से सब निकलते हैं। मेरी समझ में तो मेरे शरीर की धातु मिट्टी है, जो किसी के लोभ की सामग्री नहीं, और वास्तव में उसी के लिए सब धातु अस्त्र बनकर चलते हैं, लड़ते हैं, जलते हैं, टूटते हैं, फिर मिट्टी हो जाते हैं। इसलिए मुझे मिट्टी समझो – धूल समझो।
(घ) यह आत्महत्या होगी प्रतिध्वनि
इस पूरी संस्कृति में
दर्शन में, धर्म में, कलाओं में
शासन व्यवस्था में
आत्मघात होगा बस अंतिम लक्ष्य मानव का
(2) अंधायुग’ के चरित्रों की प्रतीकात्मकता का उल्लेख करते हुए नाटक में वर्णित मूल्य संघर्ष की प्रासंगिकता बताइए।
(3) लोभ और प्रीति’ निबंध के भावों का विवेचन करते हुए शुक्लजी की मनोभाव संबंधी अवधारणाओं पर अपना मत प्रस्तुत कीजिए।
( 4 ) “हिन्दी जीवनी साहित्य में ‘कलम का सिपाही एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।” इस कथन की समीक्षा कीजिए ।
(5) अदम्य जीवन की विषयवस्तु के प्रति लेखकीय दृष्टिकोण का सोदाहरण विश्लेषण कीजिए ।
( 6 ) निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए:
(क) ‘तांबे के कीडे’ की प्रतीक योजना
(ख) साक्षात्कार और ‘ऑक्टेवियो पॉज’
(ग) धोखा’ निबंध का प्रतिपाद्य
(घ) ‘ठकुरी बाबा’ की चारित्रिक विशेषताएं