IGNOU BHDC-105 (July 2024 - January 2025) Assignment Questions
खंड - क
निम्नलिखित पद्यांशों की ससंदर्भ व्याख्या कीजिये
1. कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन के ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठीं घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद ।
2. क्षमा, दया, तप, त्याग, मनोबल
सबका लिया सहारा
पर नरव्याघ्र सुयोधन तुमसे
कहो, कहाँ, कब हारा?
क्षमाशील हो रिपु-समक्ष
तुम हुये विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही ।
अत्याचार सहन करने का
कुफल यही होता है
पौरुष का आतंक मनुज
कोमल होकर खोता है।
क्षमा शोभती उस भुजंग को
जिसके पास गरल हो
उसको क्या, जो दंतहीन,
विषरहित, विनीत, सरल हो?
3. गगन पर दो सितारे एक तुम हो,
धरा पर दो चरण हैं एक तुम हो,
'त्रिवेणी' दो नदी है। एक तुम हो,
हिमालय दो शिखर हैं एक तुम हो.
रहे साक्षी लहरता सिंधु मेरा,
कि भारत हो धरा का बिंदु मेरा ।
कला के जोड़ सी जग-गुत्थियाँ ये
हृदय के होड़-सी दृढ वृत्तियाँ ये
तिरंगे की तरंगों पर चढ़ाते.
कि शत-शत ज्वार तेरे पास आते।
4. और यही जगह है, जहां पहुँचकर
पत्थरों की चीख साफ सुनी जा सकती है।
पर सच तो यह है कि यहाँ
या कहीं भी फर्क नहीं पड़ता
तुमने जहां लिखा है 'प्यार'
वहीं लिख दो सड़क'
फर्क नहीं पड़ता
मेरे युग का महाविरा है
फर्क नहीं पड़ता
खंड - ख
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 500 शब्दों में दीजिए:
4. केदारनाथ अग्रवाल के काव्य की प्रमुख विशेषताएं बताइए ।
5. नागार्जुन एक जनकवि हैं इस कथन की समीक्षा कीजिए।
6. देश प्रेम के संदर्भ में माखनलाल चतुर्वेदी की कविताओं का महत्व निर्धारित कीजिए ।
7. एक कवि के रूप में केदारनाथ सिंह के महत्व की चर्चा कीजिए ।
खंड - ग
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 200 शब्दों में दीजिए:
8. अज्ञेय की पठित कविताओं के आधार पर उनका वैशिष्ट्ष्य निर्धारित कीजिए ।
9. रघुवीर सहाय की स्त्री दृष्टि पर प्रकाश डालिए ।
10. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की काव्य संवेदना को स्पष्ट कीजिए।
11. 'गीत-फरोश' कविता के निहितार्थ को स्पष्ट कीजिए।
IGNOU BHDC-105 (January 2024 - July 2024) Assignment Questions
खंड - क
निम्नलिखित पद्यांशों की ससंदर्भ व्याख्या कीजिये :
1. माँझी! न बजाओ बंशी मेरा मन डोलता
मेरा मन डोलता है जैसे जल डोलता
जल का जहाज जैसे पल-पल डोलता
माँझी! न बजाओ बंशी मेरा प्रन टूटता
मेरा प्रन टूटता है जैसे तृन टूटता
तृन का निवास जैसे बन बन टूटता
माँझी! न बजाओ बंशी मेरा तन झूमता
मेरा तन झूमता है तेरा तन झूमता
मेरा तन तेरा तन एक बन झूमता ।
2. घोर निर्जन में परिस्थिति ने दिया है डाल !
याद आता तुम्हारा सिंदूर तिलकित भाल!
कौन है वह व्यक्ति जिसको चाहिए न समाज ?
कौन है वह जिसको नहीं पड़ता दूसरे से काज?
चाहिए किसको नहीं सहयोग ?
3. क्षमाशील हो रिपु-समक्ष
तुम हुये विनत जितना ही
दुष्ट कौरवों ने तुमको
कायर समझा उतना ही
अत्याचार सहन करने का
कुफल यही होता है
पौरुष का आतंक मनुज
कोमल होकर खोता है।
4. किंतु हम हैं द्वीप
हम धारा नहीं हैं
स्थिर समर्पण है हमारा। हम सदा से द्वीप हैं स्रोतस्विनी के
किंतु हम बहते नहीं हैं क्योंकि बहना रेत होना है।
हम बहेंगे तो रहेंगे ही नहीं
पैर उखड़ेंगे। प्लवन होगा। ढहेंगे। सहेंगे । बह जाएँगे
और फिर हम चूर्ण होकर भी कभी धारा बन सकते?
रेत बनकर हम सलिल को तनिक गंदला ही करेंगे
अनुपयोगी ही बनाएँगे ।
खंड - ख
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 500 शब्दों में दीजिए:
1. प्रगतिवादी काव्य के अभिव्यंजना शिल्प पर प्रकाश डालिए ।
2. समकालीन कविता की शिल्पगत प्रवृत्तियों पर विचार कीजिए ।
3. केदारनाथ अग्रवाल के काव्य की अंतर्वस्तु की विवेचना कीजिए ।
4. रामधारी सिंह दिनकर के काव्य की प्रमुख प्रवृत्तियों को रेखांकित कीजिए।
खंड - ग
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 200 शब्दों में दीजिए :
5. माखनलाल चतुर्वेदी के रचना शिल्प पर प्रकाश डालिए ।
6. अज्ञेय के काव्य सौन्दर्य को स्पष्ट कीजिए ।
7. भवानी प्रसाद मिश्र की काव्य संवेदना को रेखांकित कीजिए ।
8. रघुवीर सहाय की स्त्री दृष्टि पर अपने विचार व्यक्त कीजिए ।
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