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IGNOU BHDC-109 - Hindi Upanyas

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हिंदी उपन्यास

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IGNOU BHDC-109 Code Details

  • University IGNOU (Indira Gandhi National Open University)
  • Title हिंदी उपन्यास
  • Language(s)
  • Code BHDC-109
  • Subject Hindi
  • Degree(s) BA (Honours), BAHDH
  • Course Core Courses (CC)

IGNOU BHDC-109 Hindi Topics Covered

Block 1 - हिंदी उपन्यास का स्वरूप-विकास और ‘निर्मला’

  • Unit 1 - हिंदी उपन्यास: स्वरूप और विकास
  • Unit 2 - प्रेमचंद का परिचय और उनके उपन्यास
  • Unit 3 - 'निर्मला' कथावस्तु
  • Unit 4 - 'निर्मला' चरित्र चित्रण
  • Unit 5 - 'निर्मला' परिवेश और संरचना-शिल्प

Block 2 - 'त्याग-पत्र' और 'मानस का हंस’

  • Unit 1 - जैनेन्द्र और उनके उपन्यास
  • Unit 2 - 'त्याग-पत्र' की अंतर्वस्तु और संरचना-शिल्प
  • Unit 3 - 'त्याग-पत्र' के चरित्र
  • Unit 4 - अमृतलाल नागर और उनके उपन्यास
  • Unit 5 - 'मानस का हंस' का औपन्यासिक शिल्प
  • Unit 6 - 'मानस का हंस' के चरित्र

Block 3 - 'मृगनयनी' और 'आपका बंटी’

  • Unit 1 - 'मृगनयनी' का कथानक और प्रतिपाद्य
  • Unit 2 - 'मृगनयनी' के चरित्र
  • Unit 3 - मृगनयनी का परिवेश और संरचना-शिल्प
  • Unit 4 - मन्नू भंडारी के उपन्यास और 'आपका बंटी’
  • Unit 5 - 'आपका बंटी' के चरित्र
  • Unit 6 - 'आपका बंटी' का परिवेश और संरचना-शिल्प
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IGNOU BHDC-109 (July 2024 - January 2025) Assignment Questions

भाग-क 1. निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए । (क) निर्मला बच्चे को रोते देखकर विह्वल हो उठी। उसने उसे छाती से लगा लिया और गोद में लिये हुए अपने कमरे में लाकर उसे चुमकारने लगी, लेकिन बालक और भी सिसक-सिसक कर रोने लगा। उसका अबोध हृदय इस प्यार में वह मातृ-स्नेह न पाता था, जिससे दैव ने उसे वंचित कर दिया था। यह वात्सल्य न था, केवल दया थी । यह वह वस्तु थी, जिस पर उसका कोई अधिकार न था, जो केवल भिक्षा के रूप में उसे दी जा रही थी। पिता ने पहले भी दो-एक बार मारा था, जब उसकी माँ जीवित थी; लेकिन तब उसकी माँ उसे छाती से लगाकर रोती न थी । (ख) विवाह भावुकता का प्रश्न नहीं, व्यवस्था का प्रश्न है। वह प्रश्न क्या यों टाले टल सकता है ? वह गाँठ है जो बँधी कि खुल नहीं सकती, टूटे तो टूट भले ही जाए। लेकिन टूटना कब किसका श्रेयस्कर है ? पर आठवीं क्लास का विद्यार्थी मैं यह सब नहीं जानता था । इसलिए उस समय अति- संपूर्ण भाव से मैंने बुआ को आश्वासन दे दिया कि वह सदा इसी घर में रहेंगी। देखूँ कौन फूफा होते है जो ले जाएँ। ऐसा मन न करो, बुआ । फ़िकर क्या है। यह प्रमोद बड़ा होकर खूब कमाएगा और तुम्हारी खूब सेवा करेगा और तुम्हें कुछ कष्ट न होने देगा | (ग) रामघाट पर नित्य बाबा रामचरित मानस सुनाते हैं। कोल - किरात आदि गण दूर-दूर से आकर आजकल चित्रकूट में ही अपना डेरा जमाए हुए हैं। वे बाबा के लिए फल, फूल, कंद मूल, दूध, दही आदि लेकर आते हैं। इस समय रामजियावन के घर में मानो आठों सिद्धि नवोनिधियों का वास है। तीसरे पहर कथा होती है और फिर भक्तों की भीड़ रमजियावन के घर में सजी हुई झांकी देचाने के लिए आती है। (घ) बंटी बहुत संकुचित हो आया। भीतर ही भीतर कहीं गुस्सा भी आने लगा। फूफी ऐसा कहती तो मज़ा चखा देता । पापा से क्या कहे? पर पापा ऐसी बात कहते ही क्यों हैं? खुद तो ममी के साथ नहीं रहते, चाहते हैं वह भी नहीं रहे। बहुत चालाक हैं। एकाएक उसके मन में सामने बैठे पापा के लिए गुस्सा उफनने लगा। बहुत मन हुआ पूछे, आप ममी को भी साथ लेकर क्यों नहीं चलते? उसने एक उड़ती -सी नजर डाली । भाग - ख 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 750-800 (प्रत्येक ) शब्दों में दीजिए । (1). प्रेमचंद के उपन्यासों का परिचय दीजिए । (2). 'त्याग-पत्र' के कथानक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए । (3). 'मानस का हंस' के प्रमुख चरित्रों की विशेषताओं का विवेचन कीजिए । भाग-ग 3. निम्नलिखित पर लगभग 250 (प्रत्येक ) शब्दों में टिप्पणी लिखिए: (1) प्रेमचंद पूर्व हिन्दी उपन्यास (2) 'निर्मला' उपन्यास की कथावस्तु की विशेषताएँ (3) 'मृगनयनी' का राजनीतिक परिवेश

IGNOU BHDC-109 (July 2023 - January 2024) Assignment Questions

भाग-क निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए। (क) वही बातें, जिन्हें किसी युवक के मुख से सुनकर उसका हृदय प्रेम से उन्मत्त हो जाता, वकील साहब के मुँह से निकलकर उसके हृदय पर शर के समान आघात करती थी। उनमें रस न था, उल्लास न था, उन्माद न था, हृदय न था, केवल बनावट थी, धोखा था, और था शुष्क, नीरस शब्दाडम्बर। उसे इत्र और तेल बुरा न लगता, सैर-तमाशे बुरे न लगते, बनाव- सिंगार भी बुरा न लगता था, बुरा लगता था, तो केवल तोताराम के पास बैठना। उन्हें इन रसों का आस्वादन लेने योग्य ही न समझती थी कली प्रभात समीर ही के स्पर्श से खिलती है। दोनों के समान सारस्य है। निर्मला के लिए वह प्रभात समीर कहाँ था ? (ख) नियति का लेख बँधा है। एक भी अक्षर उसका यहाँ से वहाँ न हो सकेगा। वह बदलता नहीं, बदलेगा नहीं। पर विधि का वह अतर्क्य लेख किस विधाता ने बनाया है, उसका उसमें क्या प्रयोजन है- यह भी कभी पूछकर जानने की इच्छा की जा सकती है, या नहीं। शायद नहीं। ज्ञानी जन कह गये हैं कि परम कल्याणमय ही इस सृष्टि में अपनी परम लीला का विस्तार कर रहा है। मैं मान लेता हूँ कि ऐसा ही है। न मानूँ तो जीऊँ कैसे ? पर रह-रहकर जी होता है कि पुकार कर कहूँ कि हे ! परम कल्याणमय, तेरी कल्याणी लीला को मैं नहीं जानता हूँ। (ग) मन अब भी सब कुछ वही चाहता है, किंतु ज्ञान यथार्थ-बोध कराता है। जो मनुष्य बनकर जन्मता है उसके मन को यह हक है कि वह असंभव से असंभव वस्तु की चाहना भी कर ले, पर उसे पाने की शक्ति और औचित्य के बिना क्या वह हक यथार्थ है? अपनी परिस्थितियों पर विचार न करनेवाला व्यक्ति मूर्ख होता है। तुलसीदास इस समय मन के दर्द में ज्ञान की गूंज से बचना चाहते थे। इससे तो अच्छा था कि मन राम में रमता पर अभी राम लौटकर नहीं आते ओर मोहिनी छूटकर भी नहीं छूटती । (घ) दस वर्ष का यह विवाहित जीवन एक अंधेरी सुरंग में चलते चले जाने की अनुभूति से भिन्न न था । आज जैसे एकाएक वह उसके अंतिम छोर पर आ गई है। पर आ पहुंचने का संतोष भी तो नहीं है, ढकेल दिए जाने की विवश कचोट भर है। पर कैसा है यह छोर ? न प्रकाश, न वह खुलापन, न मुक्ति का एहसास लगात है जैसे इस सुरंग ने उसे एक दूसरी सुरंग के मुहाने पर छोड़ दिया है-फिर एक और यात्रा वैसा ही अंधकार, वैसा ही अकेलापन । भाग-ख 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 750-800 (प्रत्येक ) शब्दों में दीजिए । (1). 'निर्मला' उपन्यास की शिल्पगत विशेषताएँ बताइए । (2). अमृतलाल नागर के उपन्यासों का परिचय दीजिए। (3). मृगनयनी की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए । भाग-ग 3. निम्नलिखित पर लगभग 250 (प्रत्येक ) शब्दों में टिप्पणी लिखिए: (1) प्रेमचंद के उपन्यासों की विशेषताएँ (2) त्याग - पत्र' उपन्यास की अंतर्वस्तु (3) 'आपका बंटी की संवाद-योजना
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