IGNOU BHDC-112 (July 2024 - January 2025) Assignment Questions
खंड- 1
1. ललित निबंध के उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए ।
2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो की सप्रसंग व्याख्या लिखिए:
(क) पर इस परीक्षा में एकाएक उसका दर्द उस ढ़लती रात में उभर आया और सोचने लगा, आने वाली पीढ़ी, पिछली पीढ़ी की ममता की पीड़ा नहीं समझ पाती और पिछली पीढ़ी अपनी संतान के संभावित संट की कल्पना मात्र से उद्विग्न हो जाती है। मन में वह प्रतीति ही नहीं होती कि अब संतान समर्थ है, बड़ा से बड़ा संकट झेल लेगी।"
(ख) "ध्वनिसाम्य साधन है, तुक अर्थ का धर्म होना चाहिए। मगर कहना खतरे से खाली नहीं है। किसी आलोचक अर्थ को लय की वकालत की है। मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि सारी पंडित - मंडली उस गरीब पर बरस पड़ी है। अगर तुक अर्थ में मिल सकता है तो लय क्यों नहीं मिल सकता। मेरे अंतर्यामी कहते हैं कि तुक तो अर्थ में नहीं रहता है लय नहीं रहता। बहुत से लोग अंतर की आवाज को आँख मूँदकर मान लेते हैं। मैं नहीं मान पाता। आँखें खोलने पर भी यदि अंतर की आवाज ठीक जँचे तो मान लेना चाहिए, क्योंकि उस अवस्था में भीतर और बाहर का तुक मिल जाता है।"
(ग) "और यह मार्ग हमारी नागरिकता पर एक व्यंग्य के समान है। फाटक पर दोनों ओर स्पष्ट लिखा है- 'आम रास्ता नहीं है। अब सोचता हूँ कि आम रास्ता किसे कहते हैं? अवश्य ही यह कोई खास रास्ता है। आम लोगों का रास्ता तो दूसरा है। यह शायद भूले हुए लोग हैं। ये मार्गच्युत लोग हैं। ये अनजान लोग हैं। हे भगवान न जाने कब इन्हें अभीष्ट पथ का ज्ञान होगा?"
खंड-2
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 700-800 शब्दों में लिखिए।
3. निबंध के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए ।
4. 'मजदूरी और प्रेम निबंध का प्रतिपाद्य लिखिए ।
5. ये हैं प्रोफेसर शशांक रेखाचित्र का सारांश लिखिए।
6. आम रास्ता नहीं है के महत्व पर प्रकाश डालिए ।
खंड-3
7. तुम्हारी स्मृति संस्मरण' के माध्यम से बाल गंगाधर तिलक जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए ।
8. 'गिल्लू' रेखाचित्र का प्रतिपाद्य बताइए ।
9. 'देवदार' का कथासार लिखिए।
IGNOU BHDC-112 (July 2023 - January 2024) Assignment Questions
खंड- 1
निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए ।
1. हिंदी निबंध का उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए ।
2. निम्नलिखित में से किन्हीं दो की सप्रसंग व्याख्या लिखिए:
(क) "मनुष्य के हाथ से ही ईश्वर के दर्शन कराने वाले निकलते हैं। बिना काम, बिना मजदूरी, बिना हाथ के कला-कौशल के विचार और चिंतन किस काम के सभी देशों के इतिहासों से सिद्ध है कि निकम्मे पादरियों, मौलवियों, पंडितों और साधुओं का दान के अन्न पर पला हुआ ईश्वर-चिंतन, अंत में पाप, आलस्य और भ्रष्टाचार में परिवर्तित हो जाता है। जिन देशों में हाथ और मुँह पर मजदूरी की धूल नहीं पड़ने पाती वे धर्म और कला - कौशल में कभी उन्नति नहीं कर सकते। पद्यासन निकम्मे सिद्ध हो चुके हैं।"
(ख) "मन फिर घूम गया कौशल्या की ओर, लाखों-करोड़ों कौसल्याओं की ओर, लाखों-करोड़ों कौसल्याओं के द्वारा मुखरित एक अनाम अरूप कौशल्या की ओर, इन सब के राम वन में निर्वासित हैं। पर क्या बात है कि मुकुट अभी भी उनके माथे पर बँधा है और उसी के भीगने की इतना चिंता है?
(ग) "हृदय के भीतर जलनेवाली विरहाग्नि ने उसे किसी काम का नहीं छोड़ा। हे भगवान, तुम ऐसा कुछ नहीं कर सकते कि सारे गाँव के समान इस बालिका को भी चंद्रमा उतना ही शीतल लगे जितना औरों को लगता है! अर्थात् विरहिणी की दारूण - व्यथा अब सब के चित की सामान्य अनुभूति के साथ ताल मिलाकर चलने लगी। पागल का 'लगना' एक का लगना होता है, कवि का लगना सबको लगने लगता है। बात उलट कर कही जाय तो इस प्रकार होगी जिसका लगना सबको लगे वह कवि है, जिसका लगना सिर्फ उसे ही लगे, औरों को नहीं, वह पागल लगने लगने में भी भेद है। जो सबको लगे, वह अर्थ है, जो एक को ही लगे, वह अनर्थ है । अर्थ सामाजिक होता है।"
खंड-2
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 700-800 शब्दों में लिखिए।
3. निबंध से क्या आशय है? इसकी विशेषताएँ लिखिए ।
4. 'करुणा' निबंध का प्रतिपाद्य लिखिए।
5. 'रजिया' रेखाचित्र का सारांश लिखिए ।
6. आम रास्ता नहीं है के महत्व पर प्रकाश डालिए ।
खंड-3
7. महाकवि जयशंकर प्रसाद 'संस्मरण के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए ।
8. 'गिल्लू' रेखाचित्र का प्रतिपाद्य बताइए ।
9. ये हैं प्रोफेसर शशांक का कथासार लिखिए।
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