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IGNOU BHDE-141 - Asmitamulak Vimarsh aur Hindi Sahitya

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अस्मितामूलक विमर्श और हिंदी साहित्य

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IGNOU BHDE-141 Code Details

  • University IGNOU (Indira Gandhi National Open University)
  • Title अस्मितामूलक विमर्श और हिंदी साहित्य
  • Language(s) Hindi
  • Code BHDE-141
  • Subject Hindi
  • Degree(s) BAG, BA (Honours), BAHDH
  • Course Discipline Specific Electives (DSE)

IGNOU BHDE-141 Hindi Topics Covered

Block 1 - विमर्शों की सैद्धांतिकी और व्यावहारिकी (भाग 1)

  • Unit 1 - दलित विमर्श: अवधारणा और आंदोलन
  • Unit 2 - दलित विमर्श: अवधारणा और मुक्ति आंदोलन (पाश्चात्य और भारतीय संदर्भ)
  • Unit 3 - आदिवासी विमर्श: अवधारणा और आंदोलन
  • Unit 4 - सलाम (ओमप्रकाश वाल्मीकि): अंतर्वस्तु और मूल्यांकन
  • Unit 5 - धूणी तपे तीर: अंतर्वस्तु और मूल्यांकन
  • Unit 6 - व्यक्तित्व की भूख (सुमित्रा कुमारी सिन्हा): अंतर्वस्तु और मूल्यांकन

Block 2 - विमर्शों की सैद्धांतिकी और व्यावहारिकी (भाग 2)

  • Unit 1 - दलित कविता: अंतर्वस्तु और मूल्यांकन
  • Unit 2 - स्त्री कविता: अंतर्वस्तु और मूल्यांकन
  • Unit 3 - ‘अन्या से अनन्या’ (प्रभा खेतान): अंतर्वस्तु और मूल्यांकन
  • Unit 4 - ‘मुर्दहिया’ (डॉ. तुलसी राम): अंतर्वस्तु और मूल्यांकन
  • Unit 5 - स्त्री के अर्थ स्वातंत्र्य: अंतर्वस्तु और मूल्यांकन
  • Unit 6 - दलित चिंतन का विकास: अभिशप्त चिंतन से इतिहास चिंतन की ओर (डॉ. धर्मवीर): अंतर्वस्तु और मूल्यांकन
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IGNOU BHDE-141 (January 2024 - July 2024) Assignment Questions

भाग-1 1. आदिवासी साहित्य की प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए । 2. निम्नलिखित पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए । (क) सात भाइयों के बीच चंपा सयानी हुई। बाँस की टहनी-सी लचक वाली बाप की छाती पर साँप -सी लोटती सपनों में काली छाया-सी डोलती सात भाइयों के बीच चंपा सयानी हुई। (ख) ऐसा वर नहीं चाहिए मुझे और उसके हाथ में मत देना मेरा हाथ जिसके हाथों ने कभी कोई पेड़ नहीं लगाया फसलें नहीं उगाई जिन हाथों ने जिन हाथों ने नहीं दिया कभी किसी का साथ किसी का बोझ नहीं उठाया। भाग-2 3. महात्मा ज्योतिबा फूले के वैचारिक संघर्ष को स्पष्ट कीजिए । 4. निम्नलिखित पद्यांश / गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए । (क) मारे थाने दरवा बोलाइ, घरवा से हमें, झूठइ बनावें गुनहगार । जेलवा में मलवा उठावै मजबूर करै, केउ नहिं सुनत गोहार । (ख) भारतीय नारी अपने व्यावहारिक जीवन में सबसे अधिक क्षुद्र और रंक केसे रह सकी, यही आश्चर्य है। समाज ने उसे पुरुष की सहायता पर इतना निर्भर कर दिया कि उसके सारे त्याग, सारा स्नेह और संपूर्ण आत्मसमर्पण बंदी के विवश कर्तव्य के समान जान पड़ने लगे । भाग-3 5. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए । (क) स्त्री विमर्श (ख) वर्ण व्यवस्था में दलित (ग) आदिवासियों की समस्या

IGNOU BHDE-141 (January 2023 - July 2023) Assignment Questions

भाग-1 1. निम्नलिखित पद्यांश / गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या लगभग 800 शब्दों में कीजिए। (क) लेकिन अब मेरे हाथ में कलम है डंडा है झंडा है अनगिनत नारे हैं जुबान पर नहीं ला सकता था अब खुले आकाश में उछाल सकता हूँ। (ख) मृग तो नहीं था कहीं बावले भरमते से इंगित पर चले गए तुम भी नहीं थे बस केवल यह रेखा थी जिसमें बँधकर मैंने दुस्सह प्रतीक्षा की संभव है आओ तुम अपने संग अंजलि में भरने को स्वर्णदान लाओ इन चरणों से यह सीमा रेखा (ग) दलित साहित्य की यह मान्यता होनी चाहिए कि भावपक्ष जितना गहरा होगा, अपनी अभिव्यक्ति में वह कलापक्ष में उतना अधिक संवरेगा। कलापक्ष भावपक्ष को नष्ट करने के लिए नहीं बल्कि उसकी प्रभावी और सशक्त अभिव्यक्ति और प्रस्तुति के लिए है अच्छे कपड़े अच्छे मनुष्य का हमेशा श्रृंगार हैं। बढ़ई मात्र मेज बना रहा है लेकिन अच्छी बात तब होगी जब वह अच्छी मेज बनाए। मेज मज़बूत भी हो और सुंदर भी हो एक साथ इन दोनों माँगों में कोई बुराई नहीं है कोई लेखक अपने प्रिय पाठकों पर अपनी वैसी पुस्तक थोपना नहीं चाहेगा जो साहित्यिकता से रहित हो। किसी भी साहित्य में साहित्यिकता का होना अनिवार्य है। यह बात दलित साहित्यकार के पक्ष की है कि वह अभ्यास और साधना में बहुत बढ़ा-चढ़ा है। भाग-2 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 1000 शब्दों में दीजिए। (क) दलित विमर्श में डॉ. आंबेडकर की भूमिका पर अपने विचार व्यक्त कीजिए । (ख) स्त्री विमर्श को परिभाषित करते हुए इसके उद्देश्य पर प्रकाश डालिए । (ग) आदिवासी साहित्य की प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए । (घ) 'सलाम' कहानी की मूल संवेदना को स्पष्ट करते हुए गाँव में दलितों की सामाजिक स्थिति का वर्णन कीजिए । भाग-3 3. निम्नलिखित विषयों पर लगभग 500 शब्दों में टिप्पणी लिखिए । (क) साहित्य में स्त्री विमर्श (ख) आदिवासी की समस्या
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