IGNOU MHD-22 (July 2024 - January 2025) Assignment Questions
1. निम्नलिखित काव्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :
(क) अब का डरौं डर डरहि समानाँ,
जब थैं मोर तोर पहिचाँनाँ ।।
जब लग मोर तोर करि लीन्हां, भै भै जनमि जनमि दुख दीन्हा ||
अगम निगम एक करि जानाँ, ते मनवाँ मन माँहि समानां । ।
जग लग ऊँच नीच कर जाना, ते पसुवा भूले भ्रम नाँनाँ ।
कह कबीर मैं मेरी खोई, तबहि रॉम अवर नहीं कोई । ।
(ख) जब गुण कूँ गाहक मिलें तब गुण लाख बिकाई ।
जब गुण कौं गाहक नहीं, तब कौड़ी बदले जाइ ।।
(ग) कहा नर गरबसि थोरी बात ।
मन दस नाज, टका दस गँठिया, टेढ़ौ टेढ़ों जात ।। टेक ||
हालै आयौ हु धन कोऊ कहा कोऊ लै जात ।
दिवस चारि की है पतिसाही, ज्यूँ बन हरियल पात ।।
राजा भयौ गाँव सौ पाये, टका लाख दस व्रात ।।
रावन होत लंका को छत्रपति पल मैं गई बिहात ।।
माता पिता लोक सुत बनिता, अंत न चले सँगात ।
कहै कबीर राम भजि बौरे, जनम अकारथ जात ।।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (प्रत्येक ) लगभग 500-500 शब्दों में दीजिए :
(क) कबीर की निर्गुण भक्ति के मूल उपादानों पर प्रकाश डालिए ।
(ख) कबीर के काव्य में निहित ‘माया’ की अवधारणा का विश्लेषण कीजिए
(ग) कबीर की भाषा की विशिष्टताओं का विवेचन कीजिए |
3. निम्नलिखित विषयों में से प्रत्येक पर लगभग 200 शब्दों में टिप्पणी लिखिए :
(क) कबीर के अध्ययन में आदिग्रंथ का महत्व
(ख) शून्य चक्र
(ग) इतिहास ग्रंथों में कबीर
(घ) कबीर के काव्य में लोक तत्व
(ड.) कबीर की शिष्य परंपरा
IGNOU MHD-22 (July 2023 - January 2024) Assignment Questions
1. निम्नलिखित काव्याशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
(क) विनसि जाइ कागद की गुड़िया,
जब लग पवन तबै लग उड़िया ।।
गुड़िया को सबद अनाहद बोलै खसम लियै कर डोरी डोलै।
पवन थक्यो गुड़िया ठहरानी, सीस धुनै घुनि रोवै प्रॉनी ।।
कहै कबीर भजि सारंग पानी, नाहीं तर हैंहैं खँचा तानी ।।
(ख) झगडा एक नवेरो रॉम,
जें तुम्ह अपने जन सूँ कॉम ।।
ब्रहम बड़ा कि जिनि रू उपाया, बेद बड़ा कि जहाँ थैं आया ।।
यह मन बड़ा कि जहाँ मन मानै, राम बड़ा कि रॉमहि जानें।
कहै कबीर हूँ खरा उदास, तीरथ बड़े कि हरि के दास ।।
(ग) जन धंधा रे जग धंधा, सब लोगनि जाँणी अंधी,
लोभ मोह जेवड़ो लपटानी, बनहीं गाँठि गयौ फंदा ।।
ऊँचे टीवे मंछ बसत है, ससा बसे जल माँहीं।
परवत ऊपर डूबि मूवा, नीर मूवा घूँ काँही ।।
जलै नीर तिण षड़ उबरै बैसंदर ले सींचे।
ऊपरि मूल फूल बिन भीतरि जिनि जान्यौ तिनि नीकै ।।
कहै कबीर जॉनही जाने अनजानत दुख भारी ।
हारी वाट बटाऊ जीत्या जानत की बलिहारी ।।
2. निम्नलिखित प्रश्नों (प्रत्येक) के उत्तर लगभग 500 शब्दों में दीजिए:
(क) निर्गुन संत परंपरा का परिचय देते हुए कबीर का महत्त्व प्रतिपादित कीजिए।
(ख) कबीर के काव्य में धार्मिक रूढ़ियों के विविध रूपों का सोदाहरण विश्लेषण कीजिए ।
(ग) कबीर के काव्य में निहित व्यंग्य के विविध रूपों का विवेचन कीजिए ।
3. निम्नलिखित विषयों में से प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणी लिखिए:
(क) कबीर पर गोरखनाथ का प्रभाव
(ख) कबर के ब्रह्म
(ग) चक्र और षट्चक्र
(घ) इतिहास ग्रंथों में कबीर
(ङ) स्वाधीनता आंदोलन और कबीर
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