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IGNOU MHD-23 - Madhyakalin Kavita-1

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Rating: 4.3

मध्यकालीन कविता-1

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IGNOU MHD-23 Code Details

  • University IGNOU (Indira Gandhi National Open University)
  • Title मध्यकालीन कविता-1
  • Language(s) Hindi
  • Code MHD-23
  • Subject Hindi
  • Degree(s) MA
  • Course Optional Courses

IGNOU MHD-23 Hindi Topics Covered

Block 1 - मध्ययुगीनता की अवधारणा

  • Unit 1 - मध्ययुगीनता की अवधारणा: भक्तिकाल के संदर्भ में
  • Unit 2 - भक्तिकाव्य संबंधी विविध दृष्टिकोण
  • Unit 3 - भक्तिकाव्य की पारिभाषिक शब्दावली

Block 2 - मुल्ला दाऊद

  • Unit 1 - सूफी काव्य परंपरा और मुल्ला दाऊद
  • Unit 2 - 'चंदायन' की कथावस्तु और भावाभिव्यक्ति
  • Unit 3 - 'चंदायन' का भाषा-शिल्प

Block 3 - रविदास

  • Unit 1 - निर्गुण काव्य परंपरा और रविदास
  • Unit 2 - रविदास की भक्ति और सामाजिक चेतना
  • Unit 3 - रविदास की काव्य-भाषा और शिल्प

Block 4 - सूरदास

  • Unit 1 - कृष्ण काव्य परंपरा और सूरदास
  • Unit 2 - सूरदास के काव्य की अंतर्वस्तु
  • Unit 3 - सूरदास की काव्यभाषा और शिप्ल

Block 5 - रसखान

  • Unit 1 - कृष्णभक्त कवी और रसखान
  • Unit 2 - रसखान की कविता में प्रेम और भक्ति
  • Unit 3 - रसखान की काव्य कला
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IGNOU MHD-23 (July 2024 - January 2025) Assignment Questions

1. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : (क) राजा गियँ कै सुनहु निकाई । जनु कुम्हार धरि चाक फिराई || भगत नारि कचौरा लावा । पीत निरातर गहि दिखरावा ।। देव सराहँहि (तैसो ) गोरी । गियँ उँचार गह लिहसि अजोरी ।। अस गियँ मनुसँहि दीख न काहू । ठास धरा जनु चलै कियाहू || का कहुँ असकै दयी सँवारीं । को तिह लाग दयि अँकवारी ।। (ख) जा कारण मैं दौर्यो फिरतो, सो अब घट में आई । पाँचों मेरी सखी सहेली, तिनि निधि दई दिखाईं अब मन फूलि भयो जग महियाँ, आप में उलटि समाईं । । चलत चलत मेरो मन थाक्यो, मो पै चल्यो न जाई । साँई सहज मिल्यो सोई सन्मुख, कह रैदास बताई ।। (ग) रुकमिनि राधा ऐसैं भेंटी | जैसैं बहुत दिननि की बिछुरी, एक बाप की बेटी ।। एक सुझाव एक वय दोऊ, दोऊ हरि कौं प्यारी । एक प्रान मन एक दुहुनि कौ, तन करि दीसति न्यारी । । निज मंदिर लै गई रुकमिनी, पहुनाई बिधि ठानी। सूरदास प्रभु तहँ पग धारे, जहँ दोऊ ठकुरानी । । (घ) प्रान वही जु रहैं रिझि वापर रूप वही लिहिं वाहि रिझायो । सीस वही जिन वे परसे पद, अंक वही जिन वा परसायो । । दूध वही जु दुहायो री वाही दही सु सही जो वही ढरकायो । और कहाँ लौं कहों रसखानि री भाव वही जु वही मनभायो । । 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 500-500 शब्दों में दीजिए : (क) सगुण काव्यधारा के प्रमुख पारिभाषिक शब्दों पर प्रकाश डालिए । (ख) ‘चंदायन’ में अभिव्यक्त लोकजीवन के विविध रूपों का विवेचन कीजिए । (ग) भक्तिकालीन प्रमुख कृष्णभक्त कवियों का परिचय दीजिए । 3. निम्नलिखित विषयों में से प्रत्येक पर लगभग 200 शब्दों में टिप्पणी लिखिए: (क) भ्रमरगीत (ख) रसखान के काव्य में भक्ति (ग) रविदास के काव्य में ‘जीव’ का स्वरूप

IGNOU MHD-23 (July 2023 - January 2024) Assignment Questions

1. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए: (क) लगु जैस इह अहि बुतकारी चन्दन जैफर मिरै सँवारी ।। सरग पवान लाग जनु आयी । चाहत बैंसौं जाइ उड़ायी ।। बाँसपोर हुत जनु घर काँढ़ी। अछरि जइस देखि मैं ठाढ़ी ।। कोइ पुहुप अस अंग गँधाई । रितु बसन्त चहुँ दिसि फिर आई ।। संग बास नौखण्ड गँधाने । बास केतकी भँवर लुभाने ।। उपेन्दर गोयन्द चंदरावल, बरभाँ बिसुन मुरारि ।। गुन गँधरव रिखि देवता, रूप विमोहे नारि ।। (ख) ऊँचे मन्दिर शाल रसोई, एक धरी पुनि रहनि न होई ।। यह तन ऐसा जैसे घास की टाटी, जल गई घास, रलि गई माटी ।। भाई बन्धु कुटुम्ब सहेला, ओइ भी लागे काढु सबेरा ।। घर की नारि उरहि तन लागी, वह तो भूत-भूत करि भागी ।। कह रैदास जबै जग लूट्यौ, हम तौ एक राम कहि छूट्यौ । (ग) बिन गोपाल बैरिन भई कुंजैं। तब ये लता लगति अति सीतल, अब भई विषम ज्वाल की पुंजैं ।। बृथा बहति जमुना, खग बोलत वृथा कमल फूल, अलि गुंजैं। पवन पानि घनसार संजोवनि दधिसुत किरन भानु भई भुजै ।। ए. ऊधो, कहियो माधव सो बिरह कदन करि मारत लुंजैं। सूरदास प्रभु को मग जोवत अँखियाँ भई बरन ज्यों गुजें ।। (घ) प्रान वही जु रहें रिझि वापर रूप वही लिहिं वाहि रिझायो । सीस वही जिन वे परसे पद अंक वही जिन वा परसायो ।। दूध वही जु दुहायो री वाही दही सु सही जो वही ढरकायो । और कहाँ लौं कहाँ रसखनि री भाव वही जु वही मनभायो ।। 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (प्रत्येक का उत्तर लगभग 500 शब्दों में) दीजिए: (क) हिंदी साहित्य के इतिहास ग्रंथों में भक्ति काव्य संबंधी विविध दृष्टिकोणों की चर्चा कीजिए । (ख) रविदास की भक्ति एवं दर्शन का विश्लेषण कीजिए । (ग) रसखान की प्रेम भावना का सोदाहरण विवचन कीजिए। 3. निम्नलिखित विषयों में से प्रत्येक पर लगभग 150 शब्दों में टिप्पणी लिखिए: (क) चंदायन में प्रेम का स्वरूप (ख) 'माया' की अवधारणा (ग) सूरदास के काव्य में लोकजीवन
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