IGNOU BHDC-103 Aadikalin evam Madhyakalin Hindi Kavita - IGNOU Solved Assignment (Latest)
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IGNOU BHDC-103 (January 2025 – July 2025) Assignment Questions
भाग – 1
1. निम्नलिखित पद्याशों की ससंदर्भ व्याख्या कीजिए:
(क) सुधामुखि के बिहि निरमलि बाला ।
अपरुब रूप मनोभवमंगल
त्रिभुवन विजयी माला ।।
सुन्दर बदन चारु अरु लोचन
काजर – रंजित भेला ।
कनक – कमल माझे काल भुजंगिनि
श्रीयुत खंजन खेला।।
नाभि बिबर सएं लोम-लतावलि
भुजगि निसास – पियासा
नासा खगपति – चंचु भरम – मय
कुच – गिरि-संधि निवासा ।।
(ख) संतो भाई आई ग्यांन की आंधी रे।
भ्रम की टाटी सभै उड़ांनी माया रहै न बांधी रे ।।
दुचिते की दोइ थूनि गिरांनीं मोह बलेंडा टूटा ।
त्रिसना छांनि परी घर ऊपरि दुरमति भांडा फूटा ।।
आंधी पाछें जो जल बरसै तिहिं तेरा जन भींना ।
कहै कबीर मनि भया प्रगासा उदै भानु जब चींना ।।
(ग) ऊधौ तुम हौ चतुर सुजान ।
हमक तुम सोई सिख दीजौ, नंद सुवन की आन ।।
आमिश है भोजन हित जाकौ सो क्यों सागहिं मान ।
ता मुख सेम पात क्यौं परसत, जा मुख खाए पान ।।
किंगरी स्वर कैसैं सचु मानत, सुनि मुरली की तान ।
सुख तौ ता दिन होइ सूर ब्रज, जा दिन आवै कान्ह ||
(घ) एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय ।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय ।।
कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीत ।
बिपति कसौटी जे कसे, तो ही साँचे मीत । ।
छिमा बड़न को चाहिए, छोटेन को उतपात ।
का रहिमन हरि को घट्यो, जो भृगु मारी लात ।।
भाग-2
2. जायसी की भक्ति में प्रेम के महत्त्व की विवेचना कीजिए ।
3. कबीर की सामाजिक चेतना के प्रमुख पक्षों का उल्लेख कीजिए ।
4. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए:
(क) सूरदास की भक्ति भावना
(ख) तुलसी का रामराज्य
भाग-3
5. घनानंद की श्रृंगार भावना की विशिष्टताओं का सोदाहरण उल्लेख कीजिए ।
6. रहीम की रचनात्मक विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए ।
7. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए:
(क) मीरा का काव्य सौंदर्य
(ख) विद्यापति का काव्य सौंदर्य
IGNOU BHDC-103 (January 2024 – July 2024) Assignment Questions
भाग-1
1. निम्नलिखित पद्याशों की ससंदर्भ व्याख्या कीजिए:
(क) हरि जननी मैं बालक तेरा।
काहे न अवगुन बकसहु मेरा ।।
सुत अपराध करत है केते । जननी के चित रहें न तेते ।।
कर गहि केस करै जौ घाता। तऊ न हेत उतारै माता ।।
कहै कबीर इक बुद्धि बिचारी। बालक दुखी दुखी महतारी ।।
(ख) अखियाँ हरि दरसन की प्यासी ।
देख्यौ चाहति कमलनैन कौं, निसि दिन रहति उदासी।।
आए ऊधौ फिरि गए आँगन, डारि गए गर फाँसी ।
केसरि तिलक मोतिनि की माला, वृंदावन के वासी ।।
काहू के मन की कोउ जानत लोगनि के मन हाँसी ।
सूरदास प्रभु तुम्हरे दरस कौं, करवत लैहौं कासी ।।
(ग) धूत कही, अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहाँ कोऊ ।
काहूकी बेटीसों, बेटा न ब्याहब काहूकी जाति बिगार न सोऊ ।।
तुलसी सरनाम गुलाम है रामको, जाको, रुचै सो कहै कछु ओऊ।
माँगि के खैबो, मसीतको सोइबो, लैबोको एकु न दैबैको दोऊ ।।
(घ) मैंने नाम रतन धन पायौ ।
बसत अमोलक दी मेरे सतगुरु करि किरपा अपणायो ।।
जनम जनम की पूँजी पाई जग मैं सबै खोवायो ।
खरचै नहिं कोई चोर न ले वे दिन-दिन बढ़त सवायो।।
सत की नॉव खेवटिया सतगुरु भवसागर तरि आयो ।
मीरां के प्रभु गिरधर नागर हरखि हरखि जस गायो । ।
भाग-2
2. अमीर खुसरो की भाषागत विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए
3. कबीर के राम के स्वरूपों को स्पष्ट कीजिए ।
4. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए:
(क) जायसी की भक्ति
(ख) सूरदास की कविता में वात्सल्य
भाग-3
5. सतसई परंपरा और ‘बिहारी सतसई’ पर प्रकाश डालिए ।
6. मीराबाई अपने समय के पुरुष संत कवियों से किस प्रकार भिन्न हैं, स्पष्ट कीजिए ।
7. निम्नलिखित विषयों पर टिप्पणी लिखिए:
(क) रहीम के काव्य में लोक जीवन
(ख) घनानंद की कविता में प्रेम और सौंदर्य
BHDC-103 Assignments Details
University | : | IGNOU (Indira Gandhi National Open University) |
Title | : | Aadikalin evam Madhyakalin Hindi Kavita |
Language(s) | : | Hindi |
Code | : | BHDC-103 |
Degree | : | |
Subject | : | Hindi |
Course | : | Core Courses (CC) |
Author | : | Gullybaba.com Panel |
Publisher | : | Gullybaba Publishing House Pvt. Ltd. |