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IGNOU BHDC-134 Hindi Gadya Sahitya - Latest Solved Assignment

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BHDC-134
BHDLA-138
BHDS-184
Language : 
Hindi
Semester : 
4th
Year : 
2nd
350.00
700.00
Save 350.00
BHDC-134
BHDLA-138
ONR-02
Language : 
Hindi
Semester : 
4th
Year : 
2nd
305.00
610.00
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IGNOU BHDC-134 (January 2025 – July 2025) Assignment Questions

खंड-क 
1. निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए 
(क) घर आकर मैंने पत्र सीधा बुआ को दे दिया और वह उसको खोलकर तभी पढ़ने में लग गई। खत बड़ा नहीं था। लेकिन कई मिनट तक वह उसे पढ़ती रही। यह भी भूल गई कि प्रमोद भी उनको कोई है और इस वक्त वह पास ही खड़ा है। काफी देर के बाद उन्होंने वहाँ से आँख हटाई, खत को धीमे-धीमे तह किया और मुझको देखा मानो उस वक्त मुझे वह पहचान नहीं रही थीं। मानों सब भूल गई कि कया था, क्या है, क्या होगा। फिर उसी बेबूझ भाव से मुझे देखते रहकर मानो यंत्र की भाँति उस खत को फाड़कर नन्हें-नन्हें टुकड़ों में कर दिया। मानों वह कुछ नहीं कर रहीं, जाने कौन करा रहा है।
(ख) वंशीधर ने अलोपीदीन को आते देखा तो उठ कर सत्कार किया, किंतु स्वाभिमान सहित। समझ गये कि यह महाशय मुझे लज्जित करने और जलाने आये हैं। क्षमा प्रार्थना की चेष्टा नहीं की। वरन् उन्हें अपने पिता की यह ठकुरसुहाती की बात असहृदय-सी प्रतीत हुई। पर पंडित जी की बातें सुनी तो मन की मैल मिट गयी। पंडित जी की ओर उड़ती हुई दृष्टि से देखा। सद्भाव झलक रहा था। गर्व ने लज्जा के सामने सिर झुका दिया। शर्माते हुए बोले-यह आपकी उदारता है जो ऐसा कहते हैं। मुझसे जो कुछ अविनय हुई है उसे क्षमा कीजिए। मैं धर्म की बेड़ी में जकड़ा हुआ था, नहीं तो वैसे मैं आपका दास हूँ। जो आज्ञा होगी, वह मेरे सिर-माथे पर।
खंड-ख 
2. हिन्दी गद्य की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
3. ‘आकाशदीप कहानी के प्रमुख पात्रों का परिचय दीजिए।
4. निम्नलिखित विषयों पर लगभग 200-250 शब्दों में टिप्पणी लिखिए।
क) नमक का दारोगा कहानी की भाषा-शैली
ख) ‘त्यागपत्र’ उपन्यास का सार
खंड-ग 
5. लोम और प्रीति के भाव पक्ष का विवेचन कीजिए।
6. सहस्त्र फणों का मणि-दीप के कथ्य का विश्लेषण कीजिए।
7. निम्नलिखित विषयों पर लगभग 200-250 शब्दों में टिप्पणी लिखिए।
क) निबंध के तत्व
ख) कुटज की भाषा

IGNOU BHDC-134 (January 2024 – July 2024) Assignment Questions

खंड-क

1. निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए :

(क) उस समय भीतर ही भीतर सचमुच मुझे भी यह मालूम हो रहा था कि यहाँ देर तक मेरा रहना ठीक न होगा, लोग जाने क्या समझें। मैं आज इसी पर आश्चर्य किया करता हॅू कि ‘लोग क्या समझेंगें, इसका बोझ अपने ऊपर लेकर हम क्यों अपनी चालाकी को सीधा नहीं रखते हैं, क्यों उसे तिरछा आड़ा बनाने की कोशिश करते हैं। लोगों के अपने मुँह है, अपनी समझ के अनुसार वे कुछ-कुछ क्यों न कहेंगे? इसमें उनको क्या बाधा है, उनपर किसी का क्या आरोप हो सकता है? फिर भी उस सबका बोझ आदमी अपने ऊपर स्वीकार कर अपने भीतर के सत्य को अस्वीकार करता है- यह उसकी कैसी भारी मूर्खता है।

(ख) कोई वस्तु हमें बहुत अच्छी लगी, किसी वस्तु से हमें बहुत सुख या आनंद मिला, इतने ही पर दुनिया में यह नहीं कहा जाता कि हमने लोभ किया। जब संवेदनात्मक अवयव के साथ इच्छात्मक अवयव का संयोग होगा अर्थात् जब उस वस्तु को प्राप्त करने की, दूर न करने की, नष्ट न होने देने की इच्छा प्रकट होगी तभी हमारा लोभ लोगों पर खुलेगा। इच्छा लोभ या प्रीति का ऐसा आवश्यक अंग है कि यदि किसी को कोई बहुत अच्छा या प्रिय लगता है तो लोग कहते हैं कि वह उसे चाहता है।

खंड-ख

2. हिन्दी गद्य के विकास के विविध कारणों की चर्चा कीजिए ।

3. ‘नमक का दारोगा कहानी के प्रमुख पात्रों का परिचय दीजिए ।

4. निम्नलिखित विषयों पर लगभग 200-250 शब्दों में टिप्पणी लिखिए।

क) ‘अनामस्वामी’ उपन्यास
ख) ‘वापसी’ कहानी का सार

खंड-ग

5. ‘कुटज’ की भाषा और शील शैलीगत विशेषताएँ बताइए ।

6. हिन्दी निबंध साहित्य के विकास में आचार्य रामचंद्र शुक्ल के योगदान पर प्रकाश डालिए ।

7. निम्नलिखित विषयों पर लगभग 200-250 शब्दों में टिप्पणी लिखिए ।

क) सहस्त्र फणों का मणि ‘दीप’ की शैली
ख) ‘कुटज’ कहानी का सार

BHDC-134 Assignments Details

University : IGNOU (Indira Gandhi National Open University)
Title :Hindi Gadya Sahitya
Language(s) : Hindi
Code : BHDC-134
Degree :
Subject : Hindi
Course : Core Courses (CC)
Author : Gullybaba.com Panel
Publisher : Gullybaba Publishing House Pvt. Ltd.

IGNOU BHDC-134 (Jan 25 - Jul 25, Jan 24 - Jul 24) - Solved Assignment

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