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IGNOU BSKC-133 (July 2024 – January 2025) Assignment Questions
(क) व्याख्या आधारित प्रश्न :-
1. अधोलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए:-
(अ) अनुचरति शशाङ्कं राहुदोषेऽपि तारा
पतति च वनवृक्षे याति भूमिं लता च ।
त्यजति न च करेणुः पङ्कलग्नं गजेन्द्रं
व्रजतु चरतु धर्मं भर्तृनाथा हि नार्यः ।।
अथवा
हृदय ! भव सकामं यत्कृते शङ्कसे त्वं
शृणु पितृनिधनं तद् गच्छ धैर्यं च तावत् ।
स्पृशति तु यदि नीचो मामयं शुल्कशब्द-
स्त्वथ च भवति सत्यं तत्र देहो विशोध्यः ।।
(ब) अन्तर्हिते शशिनि सैव कुमुद्वती मे
दृष्टिं न नन्दयति संस्मरणीयशोभा ।
इष्टप्रवासजनितान्यबलाजनस्य
दुःखानि नूनमतिमात्रसुदुःसहानि ।।
अथवा
शुश्रूषस्व गुरून् कुरु प्रियसखीवृत्तिं सपत्नीजने
भर्तुर्विप्रकृताऽपी रोषणतया मा स्म प्रतीपं गमः ।
भूयिष्ठं भव दक्षिणा परिजने भाग्येष्वनुत्सेकिनी
यान्त्येवं गृहिणीपदं युवतयो वामाः कुलास्याधयः ।।
(ख) लघु उत्तरीय प्रश्न :-
2. ‘संवाद सूक्तों से नाट्योत्पत्ति के सिद्धान्त’ को स्पष्ट कीजिए ।
3. ‘नान्दी क्या है? लक्षण सहित बताइए ।
4. ‘प्रहसन’ रूपक को लक्षण सहित स्पष्ट कीजिए ।
5. ‘प्रतिमानाटकम्’ के अनुसार भरत का चरित्र चित्रण कीजिए ।
6. “सुलभापराधः परिजनो नाम” इस सूक्ति को स्पष्ट कीजिए ।
(ग) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :-
7. ‘अभिज्ञानशाकुन्तलम्’ के चतुर्थ अंक के वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए ।
8. संस्कृत नाटकों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ।
9. शूद्रक के व्यक्तित्व, कर्तृत्व एवं शैलीगत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए ।
10. निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणी लिखिए: –
(अ) नेपथ्य
(स) कंचुकी
(ब) अपवारित
(द) विदूषक
IGNOU BSKC-133 (July 2023 – January 2024) Assignment Questions
(क) व्याख्या आधारित प्रश्न :-
1. अधोलिखित पद्यांशों की ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए:-
(अ) कर्णौ त्वरापहृतभूषणभूनपाशौ
संस्रंसिताभरणगौरतलौ च हस्तौ ।
एतानि चाभरणभारनतानि गात्रे
स्थानानि नैव समतामुपयान्ति तावत ।।
अथवा
तं स्मृत्वा शुल्कदोषं भवतु मम सुतो राजेत्यभिहितं
तद्धैर्येणाश्वसन्त्या व्रज सुत ! वनमित्यार्योऽप्यभिहितः ।
तं दृष्ट्वा बद्धचीरं निधनमसदृशं राजा ननु गतः
पात्यन्ते धिक्प्रलापा ननु मयि सदृशाः शेषाः प्रकृतिभिः ।।
(ब) विचिन्तयन्ती यमनन्यमानसा
तपोधनं वेत्सि न मामुपस्थितम् ।
स्मरिष्यति त्वां न स बोधितोऽपि सन्
कथां प्रमत्तः प्रथमं कृतामिव ॥
अभिजनवतो भर्तुः श्लाघ्ये स्थिता गृहिणीपदे
अथवा
विभवगुरुभिः कृत्यैस्तस्य प्रतिक्षणमाकुला ।
तनयमचिरात् प्राचीवार्कं प्रसूय च पावनं
मम विरहजां न त्वं वत्से शुचं गणयिष्यसि ।।
(ख) लघु उत्तरीय प्रश्न :-
2. संस्कृत नाटकों की उत्पत्ति सम्बन्धी दैवीय उत्पत्ति के सिद्धान्त’ को लिखिए ।
3. ‘वीथी’ रूपक को लक्षण सहित स्पष्ट कीजिए ।
4. विदूषक क्या है? लक्षण सहित स्पष्ट कीजिए ।
5. ‘प्रतिमानाटकम्’ नाटक के नामकरण की सार्थकता को स्पष्ट कीजिए।
6. “अनुचरति शशाङ्क राहुदोषेऽपि तारा” इस सूक्ति को स्पष्ट कीजिए ।
(ग) दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :-
7. कालिदास के व्यक्तित्व, कर्तृत्व एवं शैलीगत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए ।
8. ‘प्रतिमानाटकम्’ के आधार पर सीता का चरित्र-चित्रण कीजिए ।
9. ‘उपमा कालिदासस्य इसको स्पष्ट कीजिए।
10. निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर टिप्पणी लिखिए:-
(अ) स्वगत
(स) प्रस्तावना
(ब) प्रवेशक
(द) भरतवाक्य