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IGNOU MHD-21 (July 2024 – January 2025) Assignment Questions
1. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :
(क) आली मोहि लागत बृन्दाबन नीको।
घर घर तुसली ठाकुर पूजा, दर्शन गोविंदजी को ||
निर्मल नीर बहत यमुना को भोजन दूध दही को । ।
रत्न-सिंहासन आप बिराजे, मुकुट धर्यो तुलसी को ।
कुंजन कुंजन फिरत राधिके, शब्द सुनत मुरली को । ।
मीरां के प्रभु गिरधरनागर, भजन बिना नर फीको । ।
(ख) न भावै थारौ देसड़लो (जी) रूड़ो रूड़ो
हरि की भगति करै नहिं कोई, लोग बसे सब कूड़ो ||
माँग और पाटी उतार धरूंगी, ना पहि कर चूड़ो ||
मीरां हठीली कहे संतन सों, बर पायो छै मैं पूरो ।।
(ग) ऊँची अटरिया लाल किंवड़िया, निरगुण सेज बिछी ।
पचरंगी झालर सुभ सोहै, फूलन फूल कली । ।
बाजूबंद कडूला सोहे, माँग सिंदूर भरी ।
सुमिरन थाल हाथ में लीन्हां, सोभा अधिक भली ।।
से सुखमणा मीरा सोवै, धन सुभ आज घरी ।
तुम जावो राणा घर आपने, मेरी तेरी नाहि सरी ।।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 500-500 शब्दों में दीजिए :
(क) मीरायुगीन राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का विवेचन कीजिए ।
(ख) भक्ति आंदोलन की प्रमुख धाराओं पर प्रकाश डालिए ।
(ग) मीरा की प्रेमभावना के विविध आयामों पर विचार कीजिए |
3. निम्नलिखित विषयों में से प्रत्येक पर लगभग 200 शब्दों में टिप्पणी लिखिए :
(क) बहिणाबाई
(ख) मीरा का काव्य और लोक संगीत
(ग) मीराकालीन समाज में स्त्री की स्थिति
(घ) मीरा की भक्ति में वृंदावन का महत्व
(ड.) मीरा और कुंवर भोज
IGNOU MHD-21 (July 2023 – January 2024) Assignment Questions
1. निम्नलिखित पद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए:
(क) गोविन्द सूं प्रीत करी, तब ही क्यों न हटकी ।
अब तो बात फैल गई. जेसे बीज बटकी ।
बीच को बिचार छांडि, पारि प्रीति अटकी ।।
अबै चूकै ठौर नाहि, जैसे कला नट की।
साँवरे को सीस धरे, सुरत प्रेम भटकी ।।
घर घर में घणी होत, बाणी घट घट की।
हरिजी सों प्रीति राखि लोक लाज पटकी ।।
बाणी घुलि-गांठ परी, रसना गुण रटकी ।
अब छुटायै छूटे नहीं, भोत बार झटकी ।।
मदमांते हसती सम, फिरत प्रेम लटकी ।
मीरां के प्रभु गिरधर बिन, कौन जाने घट की । ।
(ख) बादल देख डरी हो, स्याम मैं बादल देख डरी।
काली पीली घटा उमंगी, बरस्यो एक घरी ।
जित जाऊं तित पानि हि पानी हुइ सब भोम हरी ।।
जाका पिव परदेश बसत है, भीजै बार खरी ।।
मीरां के प्रभु गिरधरनागर, कीज्यो प्रीत खरी ।।
(ग) वै न मिले जिनकी हम दासी ।
पात पात बृन्दावन ढूँढ्यौ ढूंढि फिरी सगरी मैं कासी ।।
कासी कौ लोग बड़ो विसवासी मुख मैं राम बगल में फांसी ।।
आधी कासी मैं बाँमण बणियाँ आधी कासी बसे सन्यासी ।।
मीरां के प्रभु हरि अबिनासी हरिचरणां की रहौं मैं दासी ।।
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (प्रत्येक का लगभग 500 शब्दों में) दीजिए:
(क) मीरा की भक्ति के शास्त्रीय स्वरूप का विवेचन कीजिए ।
(ख) मध्यकालीन भक्त कवयित्रियों का परिचय दीजिए ।
(ग) मीरा की कविता में स्त्री सशक्तीकरण के स्वरों की समीक्षा कीजिए ।
3. निम्नलिखित प्रत्येक विषय पर लगभग 100 शब्दों में टिप्पणी लिखिए:
(क) मीरा के कृष्ण
(ख) लोक-संस्कृति
(ग) इतिहास ग्रंथों में मीरा
(घ) अक्क महादेवी
(ङ) मेड़ता में मीरा